Sunday, 25 August 2013

गुनाह

खुद को ना समझने का मुझसे गुनाह मुझसे हो गया है 
सजा बढती जा रही है दिनों ,घंटो के साथ --------

हर बात में समझौते कर  ठीक नहीं ये मुझसे हो गया है 
समझ घटती जा रही है -व्यंग्य ,तानो के साथ ------

क्या चाहत है मेरी नहीं जाना और साथी छोड़ सो गया है 
क्षमता सिमटती जा रही है - रोगों ,भोगो के साथ ------

Saturday, 24 August 2013

छुटकारा --


छुटकारा चाहिए छद्म से

छटपटाहट से छुट्टी


मै भी करना चाहती हूँ

अब पीड़ा ,दर्द से कुट्टी

छुटकारा चाहिए छद्म से

छटपटाहट से छुट्टी



शिकारी पीछे पड़े है

सामाजिक पारिवारिक दायित्वों

 के नाम पर मै तो जा रही लुट्टी

छुटकारा चाहिए छद्म से

छटपटाहट से छुट्टी



न तो किस्मत ख़राब थी न नीयत

फिर जिंदगी रही बस बंद मुठ्ठी

छुटकारा चाहिए छद्म से

छटपटाहट से छुट्टी



सेविका बन गयी गाली खाते खाते

अब तो दर्द की लहर दबी हुई है उठ्ठी

छुटकारा चाहिए छद्म से

छटपटाहट से छुट्टी



सब कुछ तो है  हाथ पैर आंख कान

फिर क्यूँ क्यूँ मानू  अपनी तकदीर फ़ुट्टी

छुटकारा चाहिए छद्म से

छटपटाहट से छुट्टी



गली के कुत्तो भेडियो  के नाम पर --जो पनाह दे रखी है

इस एहसान की और नही पीनी है घुट्टी

छुटकारा चाहिए छद्म से

छटपटाहट से छुट्टी


मेरे स्वभिमान की भाषा से अनजान हो

और मेरी अदाओं की काट कर रख दी कुट्टी [चारा ]

छुटकारा चाहिए छद्म से

छटपटाहट से छुट्टी


मै उम्र गुजरती रही कभी मन जीत लूंगी

पर दर्द की ओढनी की रोज गड़ती है खुट्टी

छुटकारा चाहिए छद्म से

छटपटाहट से छुट्टी



************************इन्दू



Wednesday, 7 August 2013

पाण्डित्य किस काम का ,--

पाण्डित्य किस काम का ,

सिर्फ दुनिया को मूर्ख बनाने को

ये आन्दोलन सिर्फ नाम का

दुखियो को स्वप्न दिखाने को

नहीं होगा कुछ भी जब तक

सत्य धारण नहीं किया जाएगा

आखिर सीखा क्या ? क्या है ऐसा तुम्हारे पास बतलाने को

बस अपना समय बिताना और दुनिया को सिर्फ उलझाने को

घरो में घुसकर -औरो के

ढूंढते तो अपना मन बहलाने को

या किसी सद्चरित्र को

अपनी आन से गिराने को

नहीं चाहिए मन्त्र ,श्लोक न कोई चौपाई सुननी

बस जो कुछ  कमाए और खुद की मौज मस्ती पर लुटाये

बाटते तो पुस्तके -----ईशारे गंदे

लाते है  मिठाई------कडवी बाते सुनकर न चेते

बोलते है  मीठा इतना---घिन्न आती है

समझते है लोग भी ,

की भी जाती  बहुत खिचाई

 पर बेशर्म है ये--कुछ कागजातों और काबिलियत के सहारे

लोग देते है इनके जैसे ही इनके साथ

बोलते नहीं --क्यूंकि ये  पैसा खर्च करते है

ये तो लगाये बैठे है घात

कब कोई बीमार पड़े गैर स्त्री

चाहे बहु ,बेटी की उम्र की हो

कब ये सहला सके उसके बदन को

सहयोग सेवा के नाम पर

बड़े बड़े लोगो में सुबह गुजरे

इतनी बड़ी संस्थाए के सरंक्षक -संस्थापक

इतने बड़े बैनर में चलने वाले

कितने खोखले है ये सब

इनके रहने से समाज का नुक्सान है

 बहुत ही ज्यादा ,लाभ नहीं लेश मात्र भी

क्यूंकि  ये खुद को जीवित रखना चाहते है

दूसरो की नैतिक मान्यताओ की लाशो पर

अपराधी कोई और कोई तो मांसाहारी होता है

ये तो आत्मा को खाने की तैय्यारी में है

ऐसा -ज्ञान   किस काम का

पाण्डित्य जैसे गाली है -

Saturday, 3 August 2013

युद्ध तो करना होगा -दुर्गा

बचोगे कब तक
युद्ध तो करना ही होगा
चाहे आज करो या कल


तुम करो या कोई और
जो लडेगा वो ही हक़दार होगा 
ललकार नहीं मात्र ये
अवसर है चुनने का 
सही गलत में से



अपनी कायरता या साहस दिखाने का
चाहे तुमने अपनी ड्यूटी की हो मजबूरी में
किसी भावी सजा से बचने के लिए
पर अब वक्त तुम्हारी अग्नि परीक्षा का है


वर्ना तुम्हारा  स्वाभिमान
ख़रीदा जाएगा --हँसते-हँसाते
छुड़ा दी जाएगी ये दुनिया जो आज साथ है
कल आने वाली दुर्गाओ की हिम्मत तोड़ देगी
अपने लिए नहीं आने वाली पीढ़ी का सोचो


संताने इस माँ की प्रतीक्षा में है --
परिवार बहुत बड़ा होने जा रहा है ,
कैसा घबराना आने वाला वक्त आपका है
और आप जैसे युवाओं का है


संभालो देश को जिले मंडल से आगे आकर
---युद्ध तो करना होगा
---अपने आप से
---और इस पाप से ---


जो हो न जाए हाथो से ---
निबट भी लो इन बातो से 
योद्धा बना दो देश को आगे आओ


युद्ध तो करना होगा -दुर्गा
चाहे अब करो या पूरी उम्र करना --------------