Sunday, 29 September 2013

कुछ लाइने मेरी भी

ऐसी कैद में है जहाँ जंजीरे तोड़ नहीं सकते चाह  कर भी
तेरी खुदाई से जी इतना भर गया याद तुम अब आते नहीं

बहुत जज्बातों को रोकना भी कहाँ तक होता है
यहाँ थाम के दिल को जब कोई अकेले में रोता है

कोई पास आके दिल के ,जब अचानक अजनबी सा बनता है
किस तरह यकीं दिलाये खुद को हमें तो बड़ी तकलीफ होती है

कर्मयोगियो को ज्योतिष के विज्ञानं को जानने  की फुर्सत ही कहाँ मिलती है
विचारो की खेती हो जाए तो खरपतवार की  उस जमीं पर नहीं कुछ चलती है --

समझ में जो आ जाए ये जिंदगी की कहानी सचमुच बहुत सुहानी है
समझ में आ जाने और ना आ जाने के बीच ही तो ये इसकी रवानी है -----

जिन दिलो में प्रेम छिपा होता है
अक्सर उन्ही की आँखों में दर्द दिखाई पड़ता है

जिनके जीवन में शामिल कोई
यहाँ पत्थर सा व्यक्ति ही - बात बात में अड़ता है

सहेज सके किसी की साँसों को ऐसा *पात्र नहीं मिलता
बचने को अपनी सजा से ही तो
दोष अपनी जुबान दिमाग से दूजो पर मडता है

कोई भी जमी उनके -पास नहीं
भावो का बीज बंजर में पहुच बस यूँ ही सड़ता है
[*पात्र - दो अर्थ है -योग्य ,बर्तन ]

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