असत्य के साथ जीना कष्टकारी ही होता है यदि ज्ञान न हो तो ,ज्ञान से जानकारी की दिशा तय की जा सकती है या जानकारी से ज्ञान हो ,कुछ भी संभव है। ज्ञान व जानकारी के सहयोग से ही नीतियाँ बन पाती और नेक नीयत से ही नीतियाँ सफल हो पाती है । भारत की संस्कृति मे जो बात है उसमे सके लिए सहज और शाश्वत आकर्षण है परंतु यही गुण सबको भयभीत करता है इसलिए इसको धर्म ,जाति के नाम पर तोड़ा जा रहा है क्यूकि तुलनात्मक हो या प्रतिस्पर्धात्मक दोनों कारणो से भारत के वसुधैव कुटुंबकम जो वैदिक सूत्र है उसका उत्तर नहीं है किसी के पास ,जियो और जीने दो ,सर्वे भवन्तु सुखिन:,प्राणियो से प्यार ,आश्रम ,गुरुकुल जैसी मान्यताए जिसे हिन्दुत्व कहते है वर्तमान मे और राजनैतिक दृष्टि से भा ज पा ,जबकि स्मृति ईरानी संसद मे हिन्दी बोलने का संकल्प भी नहीं ले पायी अब तक ?
कंही आपके आस पास भी कुछ ऐसे लोग तो नहीं जिन्हे आप जिंदगी की उलझनों मे खो रहे है या कुछ ऐसे नकारात्मक लोग तो नहीं जो उन हीरो का इस्तेमाल ही नहीं करने देते और सब छूट जाता है खोया सा जाता है ये ही बेचैनिया जीने नहीं देती ,घबराए नहीं बस नकारात्मक लोगो से बचने का पूरा प्रयास करे और सबसे पहले अपने आत्मविश्वास का हीरा तराशे फिर देखिये कीमती व्यक्तित्व आप तक जरूर पहुचेंगे आपको किसी के पीछे दौड़ने की जरूरत ही नहीं ।
प्यार करे अपने आप से ,अपने माँ- बाप से ,जिंदगी मे इतनी तकलीफ क्यूँ आए जो अपने भी सताये भारतीय होना चिंतनशील होना है क्यूंकि इस जमी पर सहज ज्ञान-व्यवस्था की सर्वाधिक संभावनाए रही है जो परम्पराओ के रूप मे आज भी विद्यमान है ये प्रेम की धरती है वसुधैव-कुटुंबकम इसी पर कहा सुना जाता है ये कोई छोटी बात नहीं है आओ इसे समझे प्यार का विकल्प नफरत से पैदा नहीं होता ।
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