हमने देखी है उन आँखों की गमी भी दिल से
जिनके होठो पे प्यास है और पेट में न रोटी है
जिस्म में सिर्फ साँसे है गवाह जिन्दा होने की
मिले ही नहीं वो अपनी खोयी कभी मंजिल से
हमने देखी है उन आँखों की गमी भी दिल से ----------
प्रेम से आकर जीना तो सीखा दो कोई उनको
नफरतो से जिन्हें दुनिया पे हुकूमत ही करनी
इन मासूमो को वो यूँ रूलाते है पत्थर बनकर
खुद तैरने वालो को भी दूर करते है साहिल से
हमने देखी है उन आँखों की गमी भी दिल से ---------------------इन्दू
No comments:
Post a Comment