आस लगाये बैठे है
शायद जान लोगे
कभी वो दिन आएगा
मुझे पहचान लोगे
अपने में कुछ कहते ही नहीं
मेरी भी कभी सुनते ही नहीं
शोर बहुत होता है अक्सर
जो कहते हो वो मेरा नहीं
जो सुनते हो वो तेरा नहीं
दूसरो की बातो में
अपनी मुलाकातों में
करीब नहीं दूर जा रहे है
हम भी अब घबरा रहे है
भीड़ के अकेलेपन में कैसे जिएंगे
कुछ भी अपना किया नहीं जीवन भर
वो जो सूकून दे जाता
जीने का जूनून दे जाता
ऐसा कुछ होता अपना सा
शायद जान लोगे
कभी वो दिन आएगा
मुझे पहचान लोगे
अपने में कुछ कहते ही नहीं
मेरी भी कभी सुनते ही नहीं
शोर बहुत होता है अक्सर
जो कहते हो वो मेरा नहीं
जो सुनते हो वो तेरा नहीं
दूसरो की बातो में
अपनी मुलाकातों में
करीब नहीं दूर जा रहे है
हम भी अब घबरा रहे है
भीड़ के अकेलेपन में कैसे जिएंगे
कुछ भी अपना किया नहीं जीवन भर
वो जो सूकून दे जाता
जीने का जूनून दे जाता
ऐसा कुछ होता अपना सा
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