एक चीज होती है परवाह
उसको कभी महसूस किया
वह जिसे होती है
जरूरी नहीं कि प्यार में हो
प्यार में तो प्रवाह भी होता है
संवेदनाओं का ,समीपता का
कष्ट का चिंतन ,लक्ष्य का ,अन्वेक्षण
ऊर्जा की गणना का
वो परवाह ही कर लेते इतनी सी
कि -------जीवन को महत्त्व मिल जाता
न करते त्याग न सही
शब्दों का विश्वास ------हो जाता
किसी के होते ---किसी के लिए तो रोते
पर ----इस रेगिस्तान में नहीं उगेगी फसल
कभी भी ---------------------------भावनाओं की
ये यूँ ही झूठ ,सच में डोलता सा रिश्ता बोझिल
हर बात करता है चोटिल
अपने से भी प्रेम न हो तो परवाह करो
अपने साथ जो जो कर सकते है
दूजे संग आसान होता है करना
पर ऐसा क्यूँ नहीं हो सकता
उसको कभी महसूस किया
वह जिसे होती है
जरूरी नहीं कि प्यार में हो
प्यार में तो प्रवाह भी होता है
संवेदनाओं का ,समीपता का
कष्ट का चिंतन ,लक्ष्य का ,अन्वेक्षण
ऊर्जा की गणना का
वो परवाह ही कर लेते इतनी सी
कि -------जीवन को महत्त्व मिल जाता
न करते त्याग न सही
शब्दों का विश्वास ------हो जाता
किसी के होते ---किसी के लिए तो रोते
पर ----इस रेगिस्तान में नहीं उगेगी फसल
कभी भी ---------------------------भावनाओं की
ये यूँ ही झूठ ,सच में डोलता सा रिश्ता बोझिल
हर बात करता है चोटिल
अपने से भी प्रेम न हो तो परवाह करो
अपने साथ जो जो कर सकते है
दूजे संग आसान होता है करना
पर ऐसा क्यूँ नहीं हो सकता
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