उतना ही बोलूंगी
उतना ही लिख सकुंगी
उतनी ही पैरवी करुँगी
जो कम से कम और पवित्र हो
क्यूंकि आहुति --तसले में देने से हवन का उद्देश्य पूरा नहीं होता
और समाज निर्माण -यज्ञ में ऐसा होना चाहिए
घरो के पर्यावरण को इसी लिए शुद्ध नहीं कर सके
क्यूंकि सत्य नारायण की कथा
असत्य धारण करने वालो के हाथो द्वारा संपन्न होती है
असत्य धारण करने वालो के हाथो द्वारा संपन्न होती है
No comments:
Post a Comment